बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय के प्राचीन विभागों में हिन्दी-विभाग है। 1952 में पहली बार इसके विद्यार्थी एम. ए. परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। इस विभाग के प्रारंभिक शिक्षकों में अनेक राष्ट्रीय स्तर के विद्वान और लेखक थे-राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’, आचार्य रामदीन पांडेय, प्रो॰ नवलकिशोर गौड़, आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा, डॉ॰ वीरेन्द्र श्रीवास्तव, पद्मश्री डॉ॰ श्यामनंदन किशोर, डॉ. कामेश्वर शर्मा, डॉ.सुरेन्द्र मोहन प्रसाद, डॉ. रामस्वारथ चौधरी ‘अभिनव’, डॉ. रमाकांत पाठक, जैसे विद्वान इस विभाग के कीर्त्ति स्तंभ हैं। समर्पित और यशस्वी अध्यापकों के मार्गदर्शन में यहाँ विद्यार्थियों ने न केवल अपने व्यक्तित्व का विकास किया बल्कि जीवन के अनेक क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। आज भी इस विभाग के अनेक विद्यार्थी शिक्षा, राजनीति, मीडिया, समाज सेवा और प्रशासन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवा दे रहे हैं। यहाँ के कई शिक्षक राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो चुके हैं। डॉ. श्यामनंदन किशोर को पद्मश्री एवं नेहरू फेलोशिप प्राप्त हुई थी। डॉ. महेन्द्र मधुकर बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के इमरेटस प्रोफेसर रहे हैं। डॉ. अवधेश्वर अरुण, डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, डॉ. गणेश प्रसाद, डॉ. नंदकिशोर नंदन, डॉ. कुमकुम राय, डॉ.रेवतीरमण प्रसाद और डॉ. सतीश कुमार राय को राजकीय साहित्य साधना एवं सेवा सम्मान एवं प्रो. कुमारी पूनम सिन्हा को हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना द्वारा-विदुषी सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। डॉ. राकेश रंजन को सावित्री त्रिपाठी स्मृति सम्मान प्राप्त हुआ। डॉ. उज्ज्वल आलोक को जनमीडिया द्वारा राष्ट्रीय मजिस्टी अवार्ड प्राप्त हुआ। डॉ.सुशान्त कुमार को निर्मल अनुपम फाउण्डेशन द्वारा युवा प्रतिभा सम्मान, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना द्वारा कामेश्वर प्रसाद शर्मा सम्मान एवं प्रज्ञा हिन्दी संस्थान, फ़िरोज़ाबाद द्वारा प्रज्ञा हिंदी सम्मान प्राप्त हुआ।